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छत्तिसगढ रायपुर जिले में 12वी कक्षा के परिणाम जारी होने के बाद एक छात्र ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्यों की वो 12वी कक्षा में fail हो गया था।
ऐसी ही एक और अजीब घटना आज से कुछ साल पहले हुई थी, जिसे जानने के बाद आप दंग रह जाएंगे, ऐसे ही एक छात्र ने fail होने की वजह से आत्महत्या कर ली थी, लेकिन उसके बाद जो हुआ वो और भी अफ़सोस जनक बात थी।
उसके बारे में यदि अपको Video के माध्यम से जानना हैं तो निचे link में जाकर ज़रूर देखिये
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लेकिन आज हम जानेंगे की क्यों एक काग़ज़ के शीट की वजह से किसी छात्र की जान चले जाती हैं।
साथ ही जानेंगे की क्या वजह होती हैं की कोई छात्र यह कदम उठाने की हिम्मत कर लेता हैं, कैसे जान सकते हैं की किसी छात्र के मन में ऐसी बातें चल रहीं हैं और लास्ट की कैसे हम इनको रोक सकते हैं।
अगर आप एक छात्र हैं यह किसी student के माता पिता आदि हैं तो एक बार दिए गए video को खास तौर से आखिरी तक ज़रूर देखें, या इस post को ध्यान से पड़ें,
जो बातें मैं बताऊंगा उसे जान आप दंग रह जाएंगे। आइए देखते हैं।
आपको जान कर हैरानी होगी कि भारत में हर साल लाखों लोग सुसाइड यानी आत्महत्या कर लेते हैं और जिनमे से 2000 से ज़्यादा केवल वो छात्र होते हैं जो परीक्षा में fail होने की वजह से सुसाइड कर लेते हैं।
जिनकी उम्र अक्सर 14 से 19 साल के बीच होती हैं।
National Crime Records Bureau की Report के मुताबिक 2019 में कुल 2744 students की मौत Failure in Exam यानी परीक्षा में Fail होने की वजह से हुई थी वहीं यह आंकड़ा thank fully कम होके साल 2020 में 2080 तक पहुंचा।
- 2020 की रिपोर्ट में झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश में 100 से ऊपर था, आप निचे Image में देख सकते हैं।
अब जानते हैं की क्यों ऐसा होता हैं, मैंने research किया तो पाया की कुछ ऐसी वजह होती हैं जिनकी वजह से students के दिमाग में ऐसा तनाव बनता हैं की वो आत्महत्या करने की हिम्मत कर लेते हैं।
सबसे पहली और आम वजह होती घर में मां/बाप का pressure,
हमारे इंडिया में एक प्रचलन हैं की हर मां बाप को उनका बच्चा क्लास में फर्स्ट चाइए, बच्चो पे वो पढ़ाई करने का दबाव बनाते हैं और दूसरों से कंपेयर करने लगते हैं।
की शर्मा जी के लड़के को देखो, गुप्ता जी के लड़के देखो, कहीं कहीं पे मां बाप बच्चों पे पढ़ाई को लेके कुछ ज्यादा ही strictly behaviour दिखा देते हैं, और डांट और मार का प्रयोग भी करते हैं।
ऐसे में बच्चे को यह समझ नहीं आता की वो यह सब उसकी भलाई के लिए कर रहे हैं, और उसके उपर मानसिक तनाव बहुत ज़्यादा बनने लगते हैं। जिसकी वजह से उसकी पहले के मुकाबले भी पढ़ाई कम होने लगती हैं और इस डर से बच्चा आखिर सुसाइड तक पहुंच जाता हैं।
दुसरी वजह है, Society में Comparision
जैसा कि मैंने पहले भी बताया हैं, हमारी society में अक्सर लोगो को अपनी छोड़ दूसरो की ज्यादा पढ़ी होती हैं।
किसका बच्चा क्या कर रहा हैं, कहां जा रहा हैं, ऐसे में मां बाप अपने बच्चों को दूसरों से कंपेयर करते हैं, ताकि बाहर उन्हें कोई अपने बच्चे की तारीफ सुना के उनके बच्चे के बारे में बोले तो वो भी बता सकें।
रिश्तेदारों का कभी कॉल आए न आए परीक्षा के रिज़ल्ट के समय ज़रूर कॉल आएगा, जबकि रिजल्ट उनको पहले से पता होता हैं, वो तो केवल मज़े लेने के लिए कॉल करते हैं।
स्कूल में बच्चो के बीच भी ऐसा होता हैं, एक दूसरे से competition के चक्कर में और फेल हुए छात्रों का मजाक बनाया जाता हैं।
Teacher कमज़ोर बच्चों का मजाक बनाते हैं, और दूसरो बच्चो से कंपेयर करते हैं।
यह सब वजह से भी students का will power कम हो जाता वो अपने आप को useless और कमज़ोर समझने लगते हैं। और अंत में ऐसे फैसलें ले लेते हैं।
तीसरी वजह होती हैं,
बुरे हालात कई केस में देखा गया हैं, की किसी गरीब घर ले मां बाप अपने बच्चे को बहुत मुश्किल से पढ़ाते हैं, और बच्चा इस चीज़ को समझता भी हैं और मेहनत भी करता हैं, लेकिन उसका परिणाम खराब आने की वजह से वो और तनाव में चला जाता हैं और इस तरह के फैसले लेता हैं।
और भी ऐसी कई अन्य वजह होती हैं, जैसे स्कूल में दूसरे बच्चों या शिक्षकों का परेशान करना, घर में भाई बहन या मां बाप के ताने सुनना, और भी कई ऐसी बातें होती की बच्चों के कच्चे दिमाग में बुरा असर पड़ता हैं।
अब समझते हैं, की कैसे जान सकते हैं की किसी बच्चे के मन में ऐसी बातें चल रहीं हैं तो कैसे पता लगता हैं।
अधिकतर ऐसी चीज़ें रिज़ल्ट आने के बाद होती हैं, बच्चे गुम सूम हों जाते हैं, परेशान रहने लगते हैं,
उनके बर्ताव में चीड़ चिड़ापन आ जाता हैं, खाने पीने को avoid करते हैं, अकेले रहने लगते हैं । आत्महत्या के बारे में लिखते या चित्र बनाते हैं। बात बात पे उदास और रोने लगते हैं।
अब कैसे बचाया जा सकता हैं। ऐसी घटनाओं को होने से
सबसे पहली जिम्मेदारी मां बाप भाई बहन यानी घर के सदस्यों की बनती हैं कि वो अपने बच्चो को प्रोत्साहित करें, ना की उन्हे और नीचा दिखाएं, उन्हे अकेला ना छोड़े उन्हे एहसास दिलाएं की उनके पास कितनी सारी वजह हैं जीने के लिए और उनका साथ दें उनको support करें।
दुसरी जिम्मेदारी रिश्तेदार, दोस्तों, और शिक्षकों की बनती हैं, की वो ऐसे बच्चों को support करें और उन्हें अच्छे से समझाएं। या उनके मां बाप से इस बारे में बात करें।
हमें समझना होगा कि हर बच्चा एक समान नहीं होता हैं, सब में अपनी कुछ खास बात होती हैं, अपने बच्चों में वो खास बात आप ढूंढिए,
अगर बच्चा हीं नहीं रहेगा तो उसके भविष्य का क्या?
और मैं भी सभी बच्चों को यही कहना चाहूंगा की एक बार या दो बार फैल होने से आपकी भविष्य खतम नहीं होगा।अपने हुनर को पहचानिए, अपने आस पास के लोगो को देखिए, दुबारा कोशिश कीजिए और अपने मन से ऐसे सारे खयाल निकाल दीजिए।
अब सुनिए उस बच्चे की कहानी जिसके बारे में मैंने post के शुरआत में बताया था, दर असल उसके रोल नंबर में गड़बड़ी के वजह से उसकी अंकसूची मिसमैच हो गई थी
और दुबारा जांच करने पे वो बच्चा फर्स्ट रैंक से पास हुआ था, तो उनके मां बाप को यह जानने के बाद और ज़्यादा अफसोस हुआ को अगर वो समय पे अपने बच्चे को समझ जाते तो आज वो उनके साथ होता
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